Search This Blog

Saturday, August 10, 2019

Amrit Kan 54 by Brahmachari Girish

अमृत कण 54



मन या चित्त एक देशीय या क्षेत्र में स्थित होते हुए पूर्ण जागृत तो रहे किन्तु चित्तवृत्तिओं, इंद्रियवृत्तियाँ पूर्ण शाँत रहें; हर्ष, विषाद, वासना आदि समस्त वृत्तिओं का लोप होना 'ध्यान' की अवस्था है।

No comments:

Post a Comment