ब्रह्मचारी गिरीश जी ने स्वामी सत्यमित्रानंद जी के ब्रह्मलीन होने का समाचार पाकर महर्षि संस्थान की ओर से अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
“परमपूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद जी के ब्रह्मलीन हो जाने का समाचार पाकर मन बहुत दुखी हुआ। ऐसे ज्ञानी, साधक, सरल, कृपालु, धर्मज्ञ, वात्सल्य मूर्ति संत इस युग में मिलने दुर्लभ हैं । सौभाग्यवश हमें उनके दर्शन और आशीर्वाद पाने के अनेक अवसर प्राप्त हुए और प्रत्येक दर्शन में उनके प्रति सम्मान व् श्रद्धा में वृद्धि होती गई । प्रभु ऐसे विशाल ह्रदय संतों को शीघ्र क्यों अपने पास बुला लेते हैं, यह प्रश्न सदा मन में रहता है। कुछ वर्षों पूर्व जबलपुर में ज्ञात हुआ कि स्वामी जी का शुभागमन हुआ है ।
हम दर्शन की आकांक्षा से पहुंचे, भीड़ बहुत अधिक थी । किसी तरह अंदर पहुँच पाए किन्तु व्यवस्थापकों के अनुसार दर्शन संभव नहीं था । हमने अनुरोध किया कि स्वामी जी को केवल सूचित कर दें कि महर्षि जी के ब्रह्मचारी आये हैं, केवल दर्शन लाभ चाहते हैं और कुछ नहीं ।
Brahmachari Girish Ji met His Holiness Swami Satyamitranand Ji (Lib.Pic.) |
“थोड़ी देर में ही एक सज्जन हमें अंदर ले गए और स्वामी जी के दर्शन प्राप्त हुए। षष्टांग चरण स्पर्श करके चरणों में स्थान ग्रहण करने लगे तो स्वामी जी ने स्वयं उठकर हमें हाथ पकड़कर उठा लिया, हमारे लिए कुर्सी मंगाई। हमने निवेदन किया कि श्री चरणों में बैठना हमारा सौभाग्य है, स्वामी जी बोले आपको कहाँ बैठना है ये हमें मालूम है । तब तक कुर्सी आ गई, स्वामी जी ने हाथ पकड़कर कुर्सी पर बैठाया और फिर कुशल क्षेम पूछा, संस्थान की कार्य प्रगति की जानकारी ली। महर्षि जी से
अपनी भेंट की कथा सुनाई, बहुत आशीर्वाद दिया और लगभग ३० मिनिट बात होती रही ।
हम स्मरण करा रहे थे कि स्वामी जी का बहुत समय ले लिया और बहुत भक्तजन प्रतीक्षा में हैं, किंतु स्वामी जी के अशीर्वाद की निरंतर वृष्टि होती रही । सिंहस्थ कुम्भ में भी बहुत अशीर्वाद प्राप्त हुआ।उनकी ये मधुरस्मृतियाँ और वात्सल्यमय अशीर्वाद हमें नित्य प्रेरणा देता रहेगा। परमपिता परमेश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में पवित्र स्थान प्रदान करें, और सम्पूर्ण संत परिवार और उनके भक्तजन सदा उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन से अभिभूत रहे, यही मंगल कामना है। ॐ
शांति शांति शांति: । जय गुरु देव, जय महर्षि। ब्रह्मचारी गिरीश”
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