अहिंसा
परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी कहा करते थे कि जो व्यक्ति अपनी अंतरनिहित चेतना को जागृत और उदात्त करने हेतु नित्य प्रति सहजगम्य भावातीत ध्यान करता है वह गीता में योगिराज श्रीकृष्ण प्रणीत वैश्विक आनंद का अंग बन जाता है।
Brahmachari Girish Ji (Lib. Picture) |
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