ज्योतिषी
पंचांग में एकरूपता की आवश्यकता- ब्रह्मचारी गिरीश जी
भोपाल (महामीडिया) "ज्योतिष विद्या
अपने आप में
पूर्ण है किंतु
ज्योतिष के साधक इसे
सीखने में गंभीर
नहीं हैं। इस
समय देश में
ज्योतिष शिक्षा सीखने के
छोटे-छोटे अनेक
केंद्र हैं किन्तु
उनकी प्रतिष्ठा नहीं
है, आज हमें
एक बड़े एवं
सुविधायुक्त प्रतिष्ठित केंद्र की आवश्यकता है,
जहां से समस्त
विषयों पर उचित
एवं संपूर्ण जानकारी मिल
सके। ताकि ज्योतिषियों को
पंचांग तैयार करने
में आसानी और
तिथियां प्रदर्शन करने में एकरूपता बनी
रहे।" उपरोक्त कथन महर्षि वैदिक
विश्वविद्यालय
के कुलाधिपति ब्रह्मचारी गिरीश
जी ने आज
भोपाल में 'महर्षि
ज्योतिष पंचांग शोध सम्मेलन' में
उपस्थित ज्योतिषियों के समूह को
संबोधित करते हुये कही।
ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन महर्षि
महेश योगी संस्थान के
तत्वाधान में ज्योतिष मठ
संस्थान, भोपाल ने म.प्र. शासन संस्कृति संचालनालय के
सहयोग से किया।
इस कार्यक्रम में
'व्यक्तित्व विकास में ज्योतिष विज्ञान, सनातनी
व्रत-त्योहार एवं
ज्योतिष सूत्र' विषय पर
समस्त ज्ञानी ज्योतिषियों के
द्वारा अपने विचार
रखे गये। कार्यक्रम में
समस्त वक्ताओं के
द्वारा मूल रूप
से एक विचार
रखा गया जिसके
अंर्तगत ऐसे समाधान निकालने हेतु
प्रयास किये जाने
पर विचार किया
गया जिससे कि
देश में प्रकाशित होने
वाले विभिन्न प्रकार
के पंचांगों में
तिथियों एवं त्योहारों में
व्याप्त असमानाओं को दूर किया
जा सके।
ब्रह्मचारी गिरीशि जी ने
अपने उद्बोधन में
बताया कि महर्षि
महेश योगी जी
ने ज्योतिष शोध
में बहुत अधिक
कार्य किया है।
उनकी इच्छा थी
कि देश में
ज्योतिष का एक ऐसा
केंद्र हो जहां
पर संपूर्ण एवं
समुचित शोध करने
एवं ज्ञान देने
की व्यवस्था हो। ब्रह्मचारी गिरीश
जी ने उपस्थित ज्योतिषाचार्यों से
अनुग्रह करते हुए कहा,
"महर्षि
जी ने बताया
था कि लगभग
500 वर्ष
पूर्व ज्योतिष के
शोधन का कार्य
हुआ था जिसे
अब पुनः किये
जाने की आवश्यकता है।
इस कार्य में
10 से
12 ज्योतिषाचार्यों को
लगभग 1 वर्ष तक
शोध करना पड़ेगा।
शोध के परिणाम
पुनः अगले 400 से
500 वर्षों
तक मान्य किये
जायेंगे। महर्षि संस्थान आप
सभी से आग्रह
करता है कि
आप में से
जो भी विद्वान इस
कार्य में अपना
सहयोग देना चाहते
हैं वे आगे
आयें और उनकी
सहायता के लिये
महर्षि संस्थान समस्त
संसाधन एवं सुविधाओं की
व्यवस्था करने के दायित्व का
निर्वहन करेगा।"
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने
यह भी कहा
कि इस संस्थान के
माध्यम से ज्योतिष के
आधार पर विश्व
शांति एवं कल्याण
का भी कार्य
किया जायेगा। इसके
अंर्तगत समस्त देशों की
कुण्डलियां बनावाकर उनके अध्ययन से
यह ज्ञात किया
जायेगा कि किस
देश पर क्या
विपत्ति आने वाली है
और उस विपत्ति को
वैदिक रीति से
हवन-पूजन करवाकर
दूर किया जायेगा। इस
कार्य में महर्षि
वैदिक संस्थान के
द्वारा वर्तमान में
प्रशिक्षित लगभग 7 हजार वैदिक
पंडित अपनी भूमिका
निर्वहा करेंगे। उन्होंने उपस्थित ज्योतिष विद्वान से संकल्प लेने
का आग्रह किया
कि वे सभी
इस कार्य में
अपना सहयोग प्रदान
करें।
सम्मेलन में उपस्थित वक्ताओं ने
सामूहिक रूप से एक
बात कही कि
संपूर्ण देश में छपने
वाले पंचांगों में
एकरूपता होनी चाहिए जिससे
कि समस्त देश
में त्योहार एक
ही दिन एवं
समय पर मनाये
जा सकें। कार्यक्रम में
देश के विभिन्न कोनों
से लगभग 150 ज्योतिष विद्वानों ने
भाग लिया एवं
विषय पर मुक्त
रूप से अपने
विचार रखे।
कार्यक्रम में ब्रह्मचारी गिरीश
जी के अलावा
ज्योतिष मठ के संस्थापक पंडित
अयोध्या प्रसाद गौतम, सीबीआई
जज न्यायमूर्ति एस.
सी. उपाध्याय, पंडित
विष्णु राजौरिया, प्रसिद्ध भागवत
कथाचार्य डा. निलिम्प त्रिपाठी, ज्योतिष पीठ
के संचालक पंडित
विनोद गौतम, राम
किशोर वैदिक, पंडित
धनेश प्रपन्नाचार्य, पंडित
दुबे, महाराज वैभव
भटेले, रामबाबू शर्मा,
सहित कई ज्योतिषियों ने
अपने-अपने विचार
रखे। इस अवसर
पर महर्षि विद्यालय समूह
के सीपीआर व्ही.
आर. खरे भी
उपस्थित थे।
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