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Friday, February 23, 2018

Ram Rajya can also be established in Kaliyuga


कलियुग में भी रामराज्य स्थापित हो सकता है


Brahmachari Shri Girish Chandra Varma 
ब्रह्मलीन परम पूज्य महर्षि महेश योगी के परम प्रिय तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी ने वैदिक पण्डितों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘‘इस कलियुग में भी रामराज्य की स्थापना हो सकती है। महर्षि जी ने कुछ वर्ष पूर्व ही विश्वव्यापी रामराज्य स्थापित करने की घोषणा कर दी थी और भारत के भौगोलिक केन्द्र-भारत के ब्रह्मस्थान में इस रामराज्य की वैश्विक राजधानी स्थापित की थी। रामराज्य की स्थापना का आधार आदर्श व्यक्ति, आदर्श समाज और आदर्श राष्ट्र का निर्माण है। जब प्रबुद्ध नागरिकों, अजेय व शाँतिपूर्ण राष्ट्रों का निर्माण होगा तभी धरा पर रामराज्य की पुनः स्थापना होगी-भूतल पर स्वर्ग का अवतरण होगा, जहां प्रत्येक व्यक्ति के लिये सबकुछ उत्तम होगा, किसी भी व्यक्ति के लिये कुछ भी अनुत्तम नहीं होगा "।


ब्रह्मचारी गिरीश ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ‘‘जब हम रामराज्य की बात करते हैं तो अधिकतर व्यक्ति यह सोचते हैं कि इसका केवल धर्म से ही सम्बन्ध है। वास्तव में रामराज्य, जीवन व्यवस्था का एक उच्च स्तरीय वैज्ञानिक सिद्धांत है, जिसे कोई भी व्यक्ति अपना सकता है, किसी भी धर्म की भावनाओं एवं बंधन को छोड़े बिना ही। श्रीरामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने उत्तरकाण्ड में रामराज्य का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया है। ऐसा रामराज्य वर्तमान समय में भी स्थापित करना वैदिक विज्ञान और उसके प्रयोगों को अपनाकर पूर्णतः सम्भव है।

“रामराज्य के वर्णन में बताया गया है कि प्रजा के सारे शोक संताप मिट गये, परस्पर भेद, राग, द्वे श मिट गये, चारों आश्रमों और वर्णों के लोग वेद अर्थात् ज्ञान मार्ग पर चलकर धर्म परायण हो गये, शोक भय रोग मिट गये, दैहिक, दैविक और भौतिक ताप मिट गये, पापों का शमन हो गया, निर्धनता समाप्त हो गई, अकाल मृत्यु की घटनायें समाप्त हो गईं, संघर्ष और दुःख मिट गया, प्रजा परोपकारी परस्पर सौहार्दता वाली हो गई, काम क्रोध मोह जैसे विकारों का अन्त हो गया, पशु-पक्षी आपस में वैर भुलाकर साथ रहने लगे, ऋतुयें समय पर आने लगीं, बाढ़ सूखा आदि प्राकृतिक आपदाओं का निवारण हुआ, नगर सुन्दर हो गये, लतायें पुष्प मधु टपकाने लगे, गौयें मनचाहा दूध देने लगीं, बादल मनचाही जल वृष्टि करने लग गये। यह सब आज भी संभव है। इसमें न कहीं किसी धर्म विशेष की बात है और न ही राजनीति की। "

उन्होंने कहा कि ‘‘वर्तमान में जिस तरह श्रीरामजी और रामराज्य का मुद्दा विवादित बना दिया गया हैं, उससे न रामजी प्रसन्न होने वाले हैं, न रामराज्य की स्थापना होने वाली है। जब भक्त अपनी शुद्ध चेतना और आत्मा के स्तर पर श्रीराम को इष्ट बनाकर उनकी अविरल निष्काम निर्विकार भक्ति में लीन होंगे और श्रीरामजी द्वारा स्थापित मर्यादा का पालन करेंगे तो रामराज्य की स्थापना होगी और जनमानस सुखी होगा। आज की आवश्यकता है कि रामराज्य के आदर्शों को शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर अध्यापित कराया जाये, उनके गुण, चरित्र, आदर्श, सिद्धाँत और प्रयोगों से नई पीढ़ी को अवगत कराया जाये, रामचरित मानस केवल एक ग्रन्थ सारी सामाजिक नकारात्मकताओं को हटाकर पूर्ण सकारात्मकता का उदय कर सकता है सारी समस्याओं का हल दे सकता है।“

उन्होंने सेकुलर शब्द की त्रुटिपूर्ण व्याख्या और सरकारों का उसमें अटक जाने को लेकर कहा कि सेकुलर तो केवल प्रकृति है जो किसी से भी भेदभाव किये बिना समभाव बनाये रखती है, बाकी सब सेकुलर शब्द का दुरुपयोग अपने-अपने ढंग से अपने निहित स्वार्थों के लिये करते हैं। राम मन्दिर निर्माण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ‘‘हर रामभक्त अपने इष्ट का मन्दिर चाहता है, मन्दिर तो बनना ही चाहिए पर उससे पहले मन मन्दिर में राम को बसाना होगा। जब तक हृदयों में-अव्यक्त के क्षेत्र में श्रीराम नहीं बसेंगे, तब तक श्रीराम व्यक्त रूप में-भौतिक रूप से स्थापित नहीं होंगे।"

ब्रह्मचारी गिरीश ने सम्बोधन के अंत में कहा कि “महर्षि जी ने हम सबको दोनों तरह का ज्ञान; शाश्वत् वैदिक ज्ञान और अत्याधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान, जो दोनों परस्पर एक दूसरे के पूरक हैं, उपहार में दिया है। हमारी तैयारी पूरी है। हमारे पास इस ब्रह्माण्डीय प्रशासकीय बुद्धिमत्ता का पर्याप्त ज्ञान है, जिसे हम समाज, नगर, प्रान्त एवं राष्ट्र की सामूहिक चेतना में इसके सुव्यवस्थित, विकासात्मक प्रभाव को शांत भाव से समावेशित करने के लिए प्रयोग में ला सकते हैं एवं इसके द्वारा जीवन के प्रत्येक स्तर पर गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं, रामराज्य की स्थापना कर सकते हैं।"

गिरीश जी ने वैदिक पण्डितों से कहा कि आप सब वैदिक ज्ञान-विज्ञान के अधिष्ठाता हैं, आप अपने दायित्व को ईमानदारी से निभायें, सारे विश्वा परिवार का कल्याण होगा।

विजय रत्न खरे,  निदेशक - संचार एवं जनसम्पर्क
महर्षि शिक्षा संस्थान



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