सबकुछ वैदिक ही है
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Brahmachari Dr. Girish Varma Ji |
वेद से तात्पर्य ज्ञान से है वैदिक मार्ग से तात्पर्य उस मार्ग से है जो ज्ञान-पूर्ण ज्ञान-शुद्ध ज्ञान प्राकृतिक विधान के पूर्ण सामर्थ्य पर आधारित है यह सृष्टि एवं प्रशासन का मुख्य आधार है जो सृष्टि की अनन्त विविधताओं को पूर्ण सुव्यवस्था के साथ शासित करता है इसीलिये वेद को सृष्टि का संविधान भी कहा गया है । प्राकृतिक विधान की यह आंतरिक बुद्धिमत्ता व्यक्तिगत स्तर पर मानव शरीरिकी की संरचना एवं कार्यप्रणाली का आधार है एवं वृहत स्तर पर यह ब्रह्माण्डीय संरचना सृष्टि का आधार है । जैसी मानव शारीरिकी है वैसी ही सृष्टि है ।
‘ यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे '
प्रत्येक व्यक्ति के शरीर के अन्दर विद्यमान इस आंतरिक बुद्धिमत्ता को इसकी पूर्ण संगठन शक्ति को प्रदर्शित करने एवं मानव जीवन एवं व्यवहार को प्राकृतिक विधानों की ऊर्ध्वगामी दिशा में विकास करने के लिए पूर्णतया जीवंत किया जा सकता है ऐसा करने से कोई भी व्यक्ति प्राकृतिक विधानों का उल्लंघन नहीं करेगा एवं कोई भी व्यक्ति उसके स्वयं के लिए अथवा समाज में किसी अन्य व्यक्ति के लिए दुःख का आधार सृजित नहीं करेगा। जब हम वैदिक प्रक्रियाओं द्वारा बुद्धिमत्ता को जीवंत करते हैं, तो हम उसके साथ ही जीवन के तीनों क्षेत्रों-आध्यात्मिक चेतना का भावातीत स्तर आधिदैविक चेतना का बौद्धिक एवं मानसिक स्तर एवं आधिभौतिक वह चेतना जो भौतिक शरीर भौतिक सृष्टि को संचालित करती है को एक साथ जीवंत करते हैं । प्राकृतिक विधान की पूर्णता ही प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा है। यह अव्यक्त एवं भावातीत है क्योंकि उस स्तर पर इसमें चेतना की समस्त संभावनायें जाग्रत रहती हैं यही चेतना की पूर्ण आत्मपरक अवस्था-आत्मनिष्ठता वस्तुनिष्ठता एवं उनके संबंधों के समस्त मूल्यों की एकीकृत अवस्था होती है ।
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने विद्वानों से बातचीत में इस गूढ़ वैदिक ज्ञान का रहस्योघाटन किया। ब्रह्मचारी जी ने कहा सब कुछ वैदिक ही है अर्थात् सब कुछ ज्ञान से ही निर्मित है। जो वेद विरोधी ज्ञान विरोधी भारतीयता विरोधी हैं उन्हें यह ज्ञात नहीं है कि उनका अपना शरीर उसके आधार में स्थित चेतना और उनकी प्रत्येक श्वास भी वैदिक है ज्ञानमय है। मानव जीवन के समस्त क्षेत्रों को पूर्ण बनाने अधिक प्रभावी एवं उपयोगी बनाने के लिए इनमें वैदिक ज्ञान का समावेश करने की आवश्यकता है। ये क्षेत्र हैं शिक्षा स्वास्थ्य कृषि पर्यावरण एवं वन शासन सुरक्षा प्रशासन प्रबंधन अर्थव्यवस्था वित्त मानव संसाधन विकास विधि एवं न्याय व्यवसाय एवं वाणिज्य व्यापार एवं उद्योग संस्कृति वास्तुकला पुनर्वास राजनीति धर्म कला एवं संस्कृति संचार सूचना एवं प्रसारण विदेश नीति विज्ञान एवं तकनीकी युवा कल्याण समाज कल्याण प्राकृतिक संसाधन ग्राम विकास महिला एवं बाल कल्याण और अन्य। वैदिक सिद्धांत एवं प्रयोग जीवन के इन क्षेत्रों को परिपूर्ण एवं सशक्त करेंगे एवं सत्व का अमिट प्रभाव राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक रेशे में प्रवेश कर राष्ट्रीय चेतना का नवीन जागरण करेगा शुद्धता उदित होगी एवं भारत अधिक सुदृढ़ एवं तेजस्वी होगा । भारतीय प्रशासकों का व्यक्तिगत अहम् राष्ट्रीय अहम् तक ऊपर उठेगा राष्ट्रीय अहम् वैश्विक अहम् तक ऊपर उठा देगा वे प्राकृतिक विधान के प्रशासक होंगे प्रत्येक नागरिक के प्रगति मार्ग को समर्थित एवं गौरवान्वित करेंगे एवं भारत में भारतीय प्रशासन को सृजित करेंगे। व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वैदिक सिद्धांतों एवं प्रयोगों के समावेश से भारत में आश्चर्यजनक उपलब्धियां होंगी ।
विजय रत्न खरे, निदेशक, संचार एवं जनसम्पर्क
महर्षि शिक्षा संस्थान
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