अमृत कण 139
"योगस्थ: कुरु कर्माणि" केवल भावातीत चेतना में स्थित होकर ही संभव है। भावातीत चेतना में पूर्ण शांति भी है और पूर्ण क्रिया भी है। दोनों की उपस्थिति का ये अद्भुत संयम है, यही जीवन में अधिकतम सफलता की कुंजी है।
"Yogasthah Kuru Karmani" is only possible being established in Transcendental Consciousness there is complete silence and there is also complete dynamism. This wonderful combination of the presence of both is the key to maximum success in life.
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