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Monday, April 6, 2020

Message from Brahmachari Girish Ji 6 April 2020


Message from Brahmachari Girish Ji  6 April 2020
ब्रह्मचारी गिरीश जी का सन्देश 

जय गुरु देव, जय महर्षि
Brahmachari Girish Ji
सप्ताह के लॉक डाउन को १३ दिन हो गए बहुत लोगों ने बताया कि उनके दिन बड़े आसानी से कट रहे हैं। कुछ ने बताया कि दिन काटने कठिन हो रहे हैं। सबके भिन्न-भिन्न अनुभव हैं. किन्तु एक अनुभव सभी का समान है, कि जो साधना और आराधना के साथ अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं, उनके दिन बड़े आसानी और आनंद में कट रहे हैं।

कुछ माता पिता ने सूचित किया कि अब उनके बच्चों का पढ़ने में मन लगने लगा है। अब उनको ऑनलाइन स्टडी की आदत भी बनने लगी है। कुछ बच्चे इंटरनेट से संगीत सीख रहे हैं, तो कुछ ड्रॉईं, पेंटिंग और मूर्ती कला। अभिभावक इससे प्रसन्न हैं। कुछ ने बताया कि वर्षों से कुछ भोजन की डिशेष घर में नहीं बनी थीं, उनका वास्तविक स्वाद ही भूल गए थे, अब परिवार के सब सदस्य मिलकर उन डिशेष को तैयार करके स्वाद ले रहे हैं।

कई घरों में नानी दादी, नाना दादा का महत्व अब समझ में आया है। घर को सजाने, सवारने, व्यवस्थित रखने, घर को घर बनाने का जो मार्गदर्शन उन्हें इस दौरान मिल रहा है, पहले घर से बाहर रहने के कारण कभी नहीं मिला। हमें ज्ञात है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। एक तरफ नकारात्मक पक्ष देखें तो हर एक साधारण व्यक्ति कोरोना से भयभीत है, अनिश्चितता का वातावरण  इस भय का वर्धन करता रहता है, लोग घरों में बंद हैं, शॉपिंग का आनंद थम गया है, समय पर घर में सामान नहीं पहुंच पा रहा है, पहुंचाए गए सामान की गुणवत्ता से संतोष नहीं है, सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है, लोग अस्पताल नहीं जाना चाहते, दैनिक वेतन वाले कर्मचारी बेरोजगार हो गए, वे भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर हो गए, गेहूं की फसल काटने और बिक्री में समस्या हो रही है, सरकारी समाधान की प्रतीक्षा है, वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी रही है, महंगाई बढ़ रही है और कुछ जमाखोर इसका लाभ ले रहे हैं, आदि-आदि।

दूसरी तरफ देखें तो बहुत बड़ी संख्या में लोगों को विश्राम का अवसर प्राप्त हुआ है, पारिवारिक सदस्य आपस में मिलजुलकर समय बिता रहे हैं, साधना और आराधना का समय मिल रहा है, सहिष्णुता कुछ बढ़ने लगी है, बच्चे घर के बड़े बूढ़ों के साथ समय व्यतीत करके संस्कारित हो रहे हैं, कुछ दिन के आराम के बाद लोग घर से ही कार्य करने में व्यस्त हो रहे हैं, अपने स्वयं और परिवार के सामूहिक स्वास्थ्य पर लोगों का ध्यान जा रहा है, जंक फ़ूड खाने में कमी आने से भी स्वास्थ्य ठीक हो रहा है, अस्पतालों में रोगिओं की संख्या घटी है, एक्सीडेंटस कम हो रहे हैं, प्रदूषण कम हो रहा है, नदिओं का जल स्वच्छ हो रहा है, यहाँ तक कि मृत्युदर में गिरावट आयी है, ईश्वर में आस्था बढ़ी है, हम सब जानते हैं "दुःख  में सुमिरन सब करें, सुख में करे कोय, जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय" इस महामारी ने इस दोहे की सार्थकता समझा दी है।

हम सब जानते हैं कि इस संकट की स्तिथि में क्या करें, लेकिन भय, तनाव, घबराहट के वातावरण में "किंकर्तव्यविमूढ़ता"  की स्तिथि अभी भी बड़े स्तर पर बनी हुई है। सारे टीवी चैनलों में केवल एक ही समाचार बचा है,  कोरोना, इसके अलावा पूरी दुनिया में और कोई समाचार अब बचा ही नहीं है।  सोशल मीडिया पर बिन मांगे हजारों की संख्या में सलाह हर मिनिट चली रही है, कौन सी सूचना सत्य है और कौन सी असत्य, इसका अंदाज़ लगापाना कठिन है। मित्रगण भी फ़ोन करते हैं तो कोरोना पर बात करने के लिए आइये क्या करें वाली सूची को एक बार फिर से दोहराएं:

१.       साधना और आराधना में सबसे अधिक समय लगाएं, सकारात्मक और सार्थक समय व्यतीत करने का यही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
२.       टीवी समचार प्रातः संध्या १०-१० मिनट देख लें बाकी समय टीवी बंद रखें। इतने से ही दिन भर के सब समाचार प्राप्त हो जाते हैं। शेष समय इन्ही समाचारों की दिन भर पुनरावत्ति होती हैं. दिन भर नकारात्मक समाचार देखने से मन, मष्तिष्क, ह्रदय, शरीर में तनाव बढ़ता हैं, चिंता बढ़ती है और यही तनाव मानसिक और शारीरिक रोगों का कारण बनता है। यह समय अपने आप को मानसिक शारीरिक रूप से स्वास्थ्य शक्तिशाली रखने का है, दुर्बल करने का नहीं। आप सब भी देख रहे होंगे कि कुछ सन्देश समाचार, भ्रम और भय फ़ैलाने, दुर्बलता नकारात्मकता बढाने वाले दुष्प्रचार में संलग्न हैं, इनसे सावधान रहें।
३.       कोरोना से बचाव सम्बन्धी केवल सरकारी सर्कुलर्स और नोटिफिकेशंस पर ध्यान दें, डॉक्टर्स की सलाह को मानें, "नीम हकीम खतरे जान" की कहावत को याद रखें।
४.       लॉक डाउन तथा आपके शहर में व्यवस्था सम्बन्धी स्थानीय प्रशासन के आदेशों का कड़ाई से पालन करें। इन नियमों के पालन से ही कोरोना को फैलने से रोका जा सकेगा। जितनी शीघ्रता से कोरोना के प्रसार पर विजय पाएंगे उतनी शीघ्रता से लॉक डाउन से मुक्ति पाएंगे।
५.       अपना ध्यान समय केवल सकारात्मक विषयों बातों में लगायें। विद्यार्थी इंडोर गेम्स खेलें। अपने माता पिता, दादा दादी, नाना नानी या अन्य बड़ों को मोबाइल फ़ोन के फीचर्स सिखाएं, इनमें एस एम एस सन्देश भेजना, वाट्सअप चलना, ऑडियो या वीडिओ कॉल्स करना, इंटरनेट सर्फिंग करना हो सकता है. युवा या बड़ी आयु के व्यक्ति अच्छी पुस्तकें या इंटरनेट से अच्छी सामग्री पढ़कर अपना ज्ञान वर्धन कर सकते हैं।
६.       अपने परिचित या अपने क्षेत्र के समाजसेवी, पुलिसकर्मी, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स, डॉक्टर्स, नर्सेज, स्वच्छ्ताकर्मी, घर घर जाकर सामान वितरित करने वाले  कार्यकर्ताओं, सेनिटाईजेशन करने वालों जैसे सेवारत व्यक्तियों को फ़ोन करके उनका धन्यवाद करें। ध्यान रखें कि उनके ही जोखिम भरे अथक परिश्रम से हम सब सुरक्षित हैं।
७.       आपके क्षेत्र में यदि किन्हीं व्यक्तियों को भोजन की आवश्यकता हो तो सरकारी अथवा स्वयंसेवी संस्थानों के माध्यम से उनकी सहायता करें। यदि संभव हो तो आप स्वयं उनकी मदद करें. यह अत्यंत पुण्य का कार्य है।
८.       ऐसे राष्ट्रिय और वैश्विक संकट के समय समाज को विभिन्न वर्गों, जाति, धर्म के आधार पर बांटकर अवयवस्था फ़ैलाने वालों, अनुचित लाभ लेने वालों, और घृणा का वातावरण फ़ैलाने वालों से सावधान रहें, और इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दें।
९.       अपने घर में, परिवार में, अपने क्षेत्र में परस्पर प्रेम, सामंजस्य, सौहार्द्र और शांति का वातावरण बनाये रखें. किसी भी कारण से परेशान व्यक्तियों को सांत्वना दें और यथासंभव उनकी सहायता करें। स्वयं प्रसन्न रहें अपने आसपास सबको प्रसन्न रखें।
१०.    आपकी तरफ से उठाये गए ये छोटे छोटे सावधानी के कदम हमारे भारतवर्ष के माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, हमारी प्रांतीय सरकारों स्थानीय प्रशासन को सुदृढ़ता व् सम्बल प्रदान करेंगे, जिसकी उन्हें वर्तमान में बहुत अधिक आवश्यकता है।

जय भारत, वन्देमातरम्

1 comment:

  1. Bahut badhiya bhaiya, kitne sundar aur uchit dhang se apne is samay ke sadupayog ke Vishay main batlaya. Kotish dhanyawad 🙏

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