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Thursday, February 21, 2019

Brahmachari Girish - "Peaceful solution is the best"

Editorial by Brahmachari Girish Ji 
शान्तिपूर्ण समाधान श्रेष्ठतम है
पुलवामा में भारतीय वीर जवानों की षड़यन्त्रपूर्वक हत्या से हम सब भारतीय स्तब्ध हैं, दुःखी हैं और आक्रोश में हैं। हमारे शहीद बन्धुओं की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाये, हम सब चाहते हैं। हम नमन करते हैं और अपनी श्रद्धांजली उन्हें अर्पित करते हैं। प्रश्न यह है कि आगे इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालों पर हम क्या कार्यवाही करें? पहली बात तो यह है कि हमारी सेना और सुरक्षा बल बहुत अधिक सावधान रहें। उनके परिसर पूरी तरह सुरक्षित किये जायें, उनकी यात्रा की जानकारी पूर्णतः गोपनीय हो, उनके कानवाय के निकलते समय मार्ग का ट्राॅफिक रोका जाये। बहुत बड़ी संख्या में मूवमेंट न हो। अन्य तरीके सेना हमसे अधिक जानती है।
भारतीय वैदिक विज्ञान में ‘‘हेयम् दुःखम् अनागतम्’’ का बहुत बड़ा सिद्धांत दिया गया है। अंग्रेजी में भी prevention is better than cure  की बात कही गई है। भारत सरकार इन सिद्धांतों और वैदिक तकनीकों का प्रयोग करे तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। परम पूज्य महर्षि महेष योगी जी के इन सिद्धांतों पर वैज्ञानिकों ने अनुसंधान करके यह सिद्ध कर दिया है कि ‘‘तत्सन्निधौ वैरत्यागः’’ के सिद्धाँत और इसके प्रयोग से हम शत्रु में शत्रुता का भाव मिटा सकते हैं। हमें यह प्रयोग करने चाहिये। दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश की सरकारों को विदेशी हथियारों पर अधिक विश्वाश हो रहा है, अपने भारतवर्ष की शाष्वत सनातन सुरक्षा तकनीकों पर नहीं। वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि यदि विश्व के किसी भी एक स्थान पर विश्व की जनसंख्या के एक प्रतिशत के वर्गमूल बराबर व्यक्ति नित्य प्रातः और संध्या समय महर्षि जी प्रणीत भावातीत ध्यान, पतंजलि के योग सूत्रों पर आधारित सिद्धि कार्यक्रम और यौगिक उड़ान का अभ्यास करें तो विश्व की सामूहिक चेतना सतोगुणी हो जाती है और सभी प्रकार की नकारात्मक प्रवृत्तियों का शमन होकर सकारात्मक प्रवृत्तियों का उदय होता है। भारत सरकार के लाखों कर्मचारी हैं। किसी भी एक स्थान पर 10,000 कर्मचारी इस कार्य को कर सकते हैं। सेना अथवा अन्य सुरक्षा दलों में एक निवारक समूह (prevention group) बनाया जाना चाहिए। यह समूह केवल 2-2 घंटे प्रातः और संध्या वैदिक सुरक्षा के प्रयोग करेगा, शेष 20 घंटे में वे अपनी दिनचर्या को जैसा चाहें वैसा रख सकते हैं।
महर्षि जी कहते हैं कि शत्रु से कब निपटा जाये? जब शत्रु हम पर आक्रमण करें तब, जब शत्रु हमारी सीमा पर आ जाये तब, जब शत्रु अपने ही शिविर में युद्ध की तैयारी कर रहा हो तब? नहीं तब तक विलम्ब हो चुका होगा। हमें शत्रु को तभी रोकना होगा, जब उसके मस्तिष्क में शत्रुता का भाव उत्पन्न हो रहा है। शत्रु के मन में बैरभाव उत्पन्न ही न हो, हमें ऐसा प्रबन्ध करना है। युद्ध के पूर्व ही विजय victory before war  का सिद्धाँत और प्रयोग उपलब्ध हैं और इसे अपनाया जाना चाहिए।
फिलहाल सरकार सावधान है और अनेक राजनैतिक और कूटनीतिक कदम उठा रही है, यह भी अतिआवश्यकता है। हमारी समझ में  युद्ध को अन्तिम विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिये। महाभारत के पूर्व भगवान कृष्ण स्वयं शाँति दूत बनकर कौरवों के पास गये थे और युद्ध न करने की सलाह दी थी। भगवान ने शाँतिपूर्वक मामले को निपटा लेने की सलाह दी थी किन्तु कौरवों का मिथ्या अहंकार सिर चढ़कर युद्ध के लिये आमादा हो गया और फिर उन्हें युद्ध में पराजय का मुंह देखना पड़ा। पाकिस्तान भी इस समय अधर्म के मार्ग पर चल रहा है, उसके पाप का घड़ा भरने को है, प्रकृति उसे दण्ड अवश्य देगी, आज नहीं तो कल।
अभी तुरन्त तो पाक को विश्व समुदाय से अलग-थलग कर देना, उसके साथ व्यावसायिक सम्बन्ध और राजनैतिक सम्बन्ध तोड़ देना, भारत में रह रहे उसके नागरिकों को वापस भेज देना, पाक के नागरिकों को भारत का वीजा न देना, उसके खिलाड़ियों, कलाकारों व व्यवसायियों का बहिष्कार करना, वहां के टीवी व रेडियो का भारत में प्रसारण बंद कर देने से भी पाकिस्तान की आर्थिक व राजनैतिक स्थिति बहुत कमजोर हो जायेगी। यदि इन सब प्रतिबन्धों के बाद भी पाकिस्तान अपनी ओछी हरकतों से बाज न आये तो फिर अन्तिम विकल्प युद्ध ही है और वो भी ऐसा युद्ध जो ऐतिहासिक हो और उसकी याद करके दोबारा कोई व्यक्ति या राष्ट्र भारत की तरफ आँख उठाने का विचार तक न कर सके।
महर्षि जी ने शाँति स्थापना के लिये, अत्यन्त प्रभावकारी यज्ञों के भी विधान भी खोज निकाले हैं, सरकार के द्वारा उन्हें विशेषज्ञों से कराया जाना चाहिए। हमारी भारत माता पूर्णतः धवल वस्त्राम्बरा है। हम अपनी मां के इस स्वच्छ आँचल पर हमारे ही भाइयों के रक्त के छींटे नहीं पड़ने देंगे। हाँ हमारी एक और माता है रणचण्डी, और हम इस माता की प्यास शत्रुओं के रक्त से बुझायेंगे। भारत का प्रत्येक नागरिक आज अपना सर्वस्व निछावर करके भी अपनी भारत माता की रक्षा के लिये कटिबद्ध है।
ऐसे नाजुक अवसर पर देश के गद्दारों और राष्ट्र द्रोहियों की पहचान भी हो जा रही है। भारत सरकार को चाहिये कि यह उचित समय है, ऐसे देश द्रोहियों को चिन्हित करके भारतीय संविधान व कानूनों के अनुसार उन पर मुकदमें चलायें और उन्हें दण्ड दें। भारत के सभी नागरिकों का आवाहन है कि वे शाँतिपूर्वक, धैर्य से, समझ से एकजुट होकर इस संकट का समाधान निकालें और अपने देश के लिये निरन्तर प्रगति का पथ प्रशस्त करें। किसी भी संकट का शाँतिपूर्ण समाधान ही श्रेष्ठतम् है अन्यथा भारत के पास सभी उपायों को करने की क्षमता है और समय रहते भारत इसका उपयोग करेगा। वन्दे मातरम्, जय गुरू देव, जय महर्षि।

Wednesday, February 13, 2019

Maharishi Smarak be open on 15 February

संगमतट पर महर्षि स्मारक का लोकार्पण 15 फरवरी को

महर्षि आश्रम अरैल संगमतट पर नवनिर्मित भव्य महर्षि स्मारक का लोकार्पण समारोह जया एकादशी 15 फरवरी 2019 को दोपहर 2 बजे आयोजित है। महर्षि महेश योगी जी के परम प्रिय तपोनिष्ठ शिष्य वेद विद्या मार्तण्ड ब्रह्मचारी गिरीश जी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि ‘‘महर्षि महेश योगी आश्रम अरैल संगमतट पर महर्षि जी की पुण्य स्मृति में एक विशाल स्मारक का निर्माण किया गया है। यह स्मारक बाहर से जैसेलमेर (सैण्ड स्टोन) के सुनहरे पीले पत्थर से बना है और अन्दर सफेद रंग के मकराना मारबल से गर्भ गृह बनाया गया है। इस स्थापत्य वेद-वास्तुकला से निर्मित स्मारक में जैसेलमेर पत्थर के 22.6 फीट ऊँचे 52 खम्भे हैं और अन्दर मारबल के 22.6 फीट ऊँचे 12 खम्बे हैं जिनपर अति सुन्दर पारम्परिक नक्काशी की गई है। गर्भ गृह की आन्तरिक छत और चारों दिशाओं की 4 चैकियों की छत भी नक्काशीदार हैं। स्मारक की बीम्स हल्के गुलाबी बंसीपहाड़पुर पत्थर की हैं। स्मारक में कुल 200000 क्यूबिक फीट जैसलमेर पत्थर और सफेद मारबल पत्थर का उपयोग हुआ है जिसका वजन लगभग 20000 टन का है। यह निर्माण लगभग 11 वर्षों में पूर्ण हुआ है। इसके आर्किटेक्ट गुजरात के श्री निपम सोमपुरा हैं और उन्हीं के द्वारा यह निर्माण भी कराया गया है। इस महर्षि स्मारक की नींव लगभग 70 फीट गहरी है। स्मारक के सामरण (शिखर) पर 1008 गोल्ड प्लेटेड कलश हैं और प्रत्येक चैकी पर 108 गोल्ड प्लेटेड कलश हैं जो स्मारक की सुन्दरता और भव्यता को हजारों गुना बढ़ा देते हैं।

ब्रह्मचारी गिरीश जी ने बतलाया कि ‘‘महर्षि जी ने सम्पूर्ण विश्व में भारतीय शाश्वत् वैदिक ज्ञान-विज्ञान अष्टांग योग भावातीत ध्यान ज्योतिश गन्धर्ववेद वास्तु विद्या यज्ञानुष्ठान आदि जीवनोपयोगी वैदिक विद्याओं का पुनर्जागरण करके उन्हें मूल रूप में पुनः प्रतिष्ठापित किया है। महर्षि जी ने चेतना विज्ञान के सिद्धाँत और इसकी प्रायोगिक तकनीक विकसित करके विश्व के 120 से भी अधिक देशों करोंड़ों नागरिकों को प्रदान की है। 40000 से अधिक भावातीत ध्यान योग के शिक्षक तैयार किये हैं। हजारों विद्यालय महाविद्यालय विश्वविद्यालय संस्थानों की स्थापना की है। सम्पूर्ण इतिहास में वेद विद्या पर आधारित मानव कल्याणकारी इतना कार्य कभी किसी एक व्यक्ति ने नहीं किया। यदि महर्षि जी के लिये ‘‘ भूतो भविष्यति’’ उक्ति का प्रयोग किया जावे तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी।
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि स्मारक के निर्माण का उदेश्य बताते हुए कहा कि ‘‘महर्षि द्वारा किये गये एैतिहासिक और अभूतपूर्व कार्य कार्ययोजनायें उनके द्वारा प्रदत्त वैदिक ज्ञान विज्ञान के सिद्धाँत और प्रयोगों को विश्व परिवार के प्रत्येक सदस्य तक पहुँचाने की आवश्यकता है जिससे विश्व चेतना में सतोगुण की अभिवृद्धि होकर सुख शाँति स्वास्थ्य सम्पन्नता समृद्धि प्रबुद्धता अजेयता जैसी अति-आवश्यक मानव आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके मानव जीवन तनाव चिन्ता से मुक्त और आनन्द से परिपूरित हो। महर्षि जी ने अपने लाखों शिष्य तैयार किये हैं जो वैदिक विद्या को ग्रहण करके अब विद्यादान के पावन कार्य को कर रहे हैं। महर्षि स्मारक केवल पत्थर से निर्मित एक भवन रचना नहीं है वरन् दीर्घकाल तक आगे आने वाली पीढ़ियों के लिये वैदिक ज्ञान-विज्ञान का जीवन्त चेतन प्रकाशमय स्मारक है जो ज्ञान जिज्ञासुओं को ज्ञान प्राप्ति ज्ञानदान और आध्यात्मिक विकास के लिये सदा प्रेरित करता रहेगा।
गिरीश जी ने प्रयागराज कुम्भ में पधारे महामण्डलेश्वरों साधुओं सन्यासियों विद्वानों और गणमान्यों का आवाहन किया है कि वे 15 फरवरी को दोपहर 2 बजे महर्षि स्मारक के लोकार्पण समारोह में अपनी दैवीय उपस्थिति से हमें अपना आशीष प्रदान करें।
सधन्यवाद जय गुरु देव जय महर्षि
विजय रत्न खरे निदेशकः संचार जन-सम्पर्क महर्षि समूह मोबाइलः +91 9425008470