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Wednesday, November 14, 2018

Brahmachari Girish Chancellor of Maharishi University performs Deepawali Puja



Brahmachari Girish Ji performed Hanuman Jayanti Pujan with more than 100 Maharishi Vedic Pundits on Second Day of 3 Days Celebration organised at Maharishi Utsav Bhavan, Gurudev Brahmanand Saraswati Ashram, Bhojpur Road, Bhopal.



Concluding the puja, Brahmachari Girish Ji said that “Hanuman Ji is a perfect example and source of inspiration, devotion, dedication, loyalty, intelligence, dynamism, infinite organizing power and latent powers. It’s our joy to perform this puja as per Vedic Vidhan.”  





Saturday, November 3, 2018

Girish Chandra Varma president MWPM said peace is the most needed requirement of all time and specially today.

Annual Conference of State Presidents and Secretaries was organised on 29th October 2018 at Maharishi Bliss Residence, Bhojpur Road, Bhopal.

Presidents and Secretaries from 17 states have participated with about 150 district presidents and secretaries.
Brahmachari Girish Chandra Varma Ji addressing 

Brahmachari Girish Ji - the President of Maharishi World Peace Movement in his opening address said that “the peace is the most needed requirement of all time and specially today. We have the knowledge, we have technologies, we have resources and we are capable of creating perpetual world peace. Let’s do it. We need to apply the knowledge with proper strategy, and let’s resolve it that we will definitely do it in our generation.”

Shri V. R. Khare-Secretary General of Maharishi World Peace Movement has inspired every all present and said it is a great responsibility on all of us. We need to achieve world peace and gift it to coming generations. Shri Khare Ji inspired every one to really focus on this mission.

Prof. Bhuvnesh Sharma, Vice-Chancellor of Maharishi Mahesh Yogi Vedic Vishwavidyalaya said that “Every individual is a unit of peace. Having established peace within us, we can create world peace. It is simple and natural, every one desires peace but does not put enough attention on achieving it.

Sunday, October 28, 2018

Brahmachari Girish Ji said that India is full of eternal Vedic wisdom


One week Principals Annual Conference of Maharishi Vidya Mandir Schools Group has started on 26th October 2018 at Maharishi Bliss Residency, Bhopal. 147 principals and members of National Board of Directors of Maharishi Schools Group are participating.


Inaugural session started with Shri Guru Parampara Pujan and Director Communication and Public Relations Shri V. R. Khare has conducted the proceedings of the conference.

Brahmachari Girish Ji
In his inaugural speech Brahmachari Girish Ji, Chairman of Maharishi Vidya Mandir Schools Group has welcomed all participants and reminded them the purpose of establishing Maharishi Schools. Girish Ji said that India is full of eternal Vedic wisdom and it has to be imparted to every citizen and of India and the global family in order to make their life happy, healthy, wealthy, problem free, mistake free, harmonious, enlightened, invincible and heavenly. We have the knowledge bestowed upon us by Holi Vedic Tradition of Masters, Shri Guru Dev Swami Brahmanand Saraswati Ji and His Holiness Maharishi Mahesh Yogi Ji. It is our duty and dharma to train coming generations to enjoy this knowledge and Vedic technologies to make life heavenly”.

Brahmachari Ji has expressed his serious concern that custodians of Maharishi Ji’s knowledge are limited and senior in age. They all need to train new generation, each principal in his/her city must arrange to impart this Vedic knowledge to masses and should arrange creating big groups of practitioners of Transcendental Meditation and Siddhi Programme. In the time of Kaliyuga, Rajoguna and Tamogun is more than Satogun. We have the technology, we can create coherence and remove all negativity and darkness from the life of every one.

Brahmachari Ji further said “If we don’t perform our Dharma, we will be put in the category of non-performing assets (NPA), and will be put out by nature. Thereby every one of has to be accountable and responsible. Let’s resolve now and start from now. We should not lose even a single second. Time is flying, we need to compete with time and produce result”.

Every one appreciated Brahmachari Ji’s wish and committed to do everything for the betterment of society.

Tuesday, October 9, 2018

Girish Chandra Varma Chief of Maharishi Sansthan organises Shri Sahasrachandi Mahayagya and Shri Ram Katha

महर्षि संस्थान में नौ दिवसीय सहस्रचण्डी महायज्ञ और श्रीराम कथा का आयोजन


भोपाल (महामीडिया): शारदीय नवरात्र महोत्सव के पावन पर्व पर महर्षि महेश योगी संस्थान में 10 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक श्री सहस्रचण्डी महायज्ञ एवं श्री रामकथा अमृत प्रवाह का भव्य आयोजन किया जा रहा है।

Girish Chandra Varma
Brahmachari Girish Ji
महर्षि संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी के अनुसार श्रीगुरूदेव स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज और ब्रह्मलीन परमपूज्य महर्षि महेश योगी जी के दिव्य सत् संकल्प और आश्रीवाद से सौ वैदिक पंडितों के द्वारा श्रीसहस्रचण्डी महायज्ञ का आरंभ होगा। दिव्य यज्ञ की अग्नि में श्रद्धा और समर्पण से डाली गई आहुतियों से देवी-देवता, पितर और पर्यावरण प्रसन्न होंगे तथा ज्ञान और आनंद की वर्षा करेंगे। इससे निश्च्य ही राजसी, तामसी वृत्तियां नष्ट होंगी और सामूहिक चेतना में सतोगुण की अभिवृद्धि होगी। इस दौरान सभी को अपना-अपना अभिष्ठ सुलभ होगा, सकारात्मकता में वृद्धि होगी। जनसामान्य को सुख, समृद्धि एवं आनंद की प्राप्ति होगी।

इस अवसर पर हरिद्वार से पधारे सुप्रसिद्ध कथा व्यास अनन्त श्री विभूषित महामण्डलेश्वर स्वामी अर्जुनपुरीजी महाराज श्रीराम कथा का नौ दिन तक प्रवचन करेंगे।

महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ, महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय समूह एवं महर्षि विश्व शांति आंदोलन द्वारा आयोजित श्रीसहस्रचण्डी महायज्ञ और श्रीराम कथा का आयोजन भोजपुर मंदिर मार्ग स्थित गुरूदेव ब्रह्मानंद सरस्वती आश्रम में आयोजित किया जा रहा है। बुधवार से प्रातः 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक महायज्ञ के दौरान पूजन, श्रीचण्डी पाठ एवं हवन आदि 18 अक्टूबर तक होगा तथा शाम 3 बजे से 6 बजे तक प्रत्येक दिन श्रीराम कथा अमृत प्रवाह का कार्यक्रम होगा।

कार्यक्रम समाप्ति के दिन 18 अक्टूबर को दोपहर 10:30 बजे से कन्या पूजन एवं कन्या भोज होगा तथा अगले दिन दशहरा उत्सव पर 19 अक्टूबर को शाम 7 बजे रावण दहन होगा।

Friday, September 28, 2018

YOG AND TRANSCENDENTAL MEDITATION (TM) TEACHERS Course

Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidya Peetham

Invites Applications for Trainees

YOG AND TRANSCENDENTAL MEDITATION (TM) TEACHERS

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TM Teachers Advert

Hindi Version of Advt. of YOG AND TRANSCENDENTAL MEDITATION (TM) TEACHERS

English Version of Advt for TM and Yog Teachers Training Programme

After successful completion of the course, candidates will be able to earn
between Rs. 10,000 to Rs. 30,000 per month from teaching of 
Yog and Transcendental Meditation. 
   
The interested candidates should send their application with 
copy of all certificates, complete bio-data and recent passport size 
photograph as soon as possible to following address or email:-
Address: Hall No.16, 3rd Floor, Sarnath Complex, Opposite Board Office, Shivaji Nagar, Bhopal - 462016 (MP).
   

Monday, July 30, 2018

Life from Gandharva Ved Music filled with sweet fragrances - Brahmachari Girish Ji



गन्धर्व वेद से जीवन सुगन्धमय -ब्रह्मचारी गिरीश 28 जुर्लाइ 2018 भोपाल,



‘श्री गुरूपूर्णिमा महोत्सव के प्रथम दिवस हमें दैवीय इच्छा की पूर्ति का आशीर्वाद मिला है, जो हमें नये संकल्पों को पूरा करने की शक्ति एवं सम्बल प्रदान करेगा। आज का द्वितीय दिवस गन्धर्ववेद को समर्पित है क्योंकि गन्धर्ववेद से जीवन सुगन्धमय बनता है। महर्षि जी को गन्धर्ववेद बहुत प्रिय था। महर्षि संस्थान ने गन्धर्ववेद के लगभग 3000 से अधिक कन्र्सट पूरे विश्व में आयोजित करवाये थे जिसमें देश एवं विदेश के र्कइ नवोदित एवं नामी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी थीं उक्त बात आज महर्षि उत्सव भवन छान में श्री गुरूपूर्णिमा महोत्सव के द्वितीय दिवस की अध्यक्षता करते हुए महर्षि विद्या मन्दिर समूह के अध्यक्ष ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कही। इस अवसर पर गुरू पूर्णिमा महोत्सव को सफल एवं साकार रूप देने के लिए ब्रह्मचारी गिरीश ने समस्त कुलपतियों, निदेशकों, अधिकारियों एवं प्राचार्यों का धन्यवाद भी ज्ञापित किया। गुरूपूर्णिमा महोत्सव का द्वितीय दिवस महर्षि संस्थान की परम्परा के अनुरूप गुरू पूजन से प्रारम्भ हुआ। 5 वैदिक पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच ब्रह्मचारी गिरीश एवं अन्य विषिष्ट अतिथियों ने गुरू पूजन किया। असम राज्य के गुवाहाटी महर्षि विद्या मन्दिर स्कूल की छात्राओं ने नृत्य के माध्यम से रामकथा का सफल मंचन किया। इस नृत्य में सम्पूर्ण रामलीला को मंचित किया गया था जो कि अत्यन्त भावपूर्ण एवं मनमोहक प्रस्तुति थी। महर्षि विद्या मन्दिर शहडोल के बच्चों ने गायन प्रस्तुत किया। गुरू वंदना का यह कार्यक्रम अत्यन्त भावपूर्ण एवं आत्मविभोर करने वाला था। महर्षि विद्या मन्दिर नोएडा के छात्रों ने ‘नमामि गंगे’ नृत्य की प्रस्तुति दी इसमें गंगा का गुणगान कर उसकी उपयोगिता का विशद् चित्रण किया गया था, यह प्रस्तुति हृदयाकर्षक थी। महर्षि विद्या मन्दिर जबलपुर के छात्र-छात्राओं द्वारा भगवान श्रीराम का स्तुति गान प्रस्तुत किया गया। जय राम राम के बोल से भगवान श्रीराम का स्तुति गान अत्यन्त भाव विभोर करने वाला था।
महर्षि विद्या मन्दिर भण्डारा के छात्र-छात्राओं ने अपना नृत्य गणेश वन्दना से प्रारम्भ किया, महाराष्ट्र की लोक संस्कृति के अनुरूप सर्वप्रथम शंख ध्वनि के बीच गणेश पूजन किया गया इसके बाद नृत्य प्रारम्भ हुआ। नृत्य एवं गायन की यह सम्मिलित गणेश वन्दना की प्रस्तुति अत्यन्त मनमोहक एवं महाराष्ट्र की जीवन शैली एवं संस्कृति से ओत प्रोत थी। महाराष्ट्र की पारम्परिक वेश-भूषा नृत्य एवं गायन में चार चाँद लगा रहे थे। महर्षि विद्या मन्दिर रतनपुर भोपाल के छात्र-छात्राओं ने सद्गुरू को समर्पित गायन ‘मेरी नैया पार लगा दे मेरे सद्गुरू’ के बोल पर गुरू की स्तुति का यह गायन अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा। महर्षि विद्या मन्दिर सिल्चर के छात्र-छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुत किया। वर्षा ऋतु को वर्णित करते हुये इस नृत्य ने अत्यन्त भावपूर्ण भाव भंगीमाओं से दर्षको को सम्मोहित कर बाँध लिया। महर्षि विद्या मन्दिर शहडोल के छात्र छात्राओं ने राम चरित मानस की चैपाईयों पर आधारित भजन की शानदार प्रस्तुति दी। महर्षि विद्या मन्दिर गुवाहाटी की छात्र-छात्राओं ने बिहू का नृत्य प्रस्तुत किया। असम की लोक संस्कृति से ओत-प्रोत पहनावे एवं भाव भंगिमा से परिपूर्ण बिहू नृत्य को मंच पर साकार कर दिया। नव वर्ष आगमन की खुशी में किया जाने वाल असमी लोक नृत्य महर्षि विश्व शान्ति आन्दोलन के ग्यारहवें वर्ष में प्रवेष को रेखांकित कर रहा था। अंत में विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना सुश्री श्वेता देवेन्द्र एवं उनके समूह द्वारा भरत नाट्यम की शानदार प्रस्तुति दी गई, जिसमें देवों की स्तुति, मिश्र जाति आदि सम्मिलित थे।



We receive the blessings of all three Brahma, Vishnu and Mahesh from Guru- Brahmachari Girish

गुरू से हमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश, तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है - ब्रह्मचारी गिरीश


गुरू पूर्णिमा-27 जुलाई 2018, भोपाल, महर्षि महेश योगी जी कहा करते थे ब्रह्मानन्द अर्थात् ब्रह्म का आनन्द। जब हम ब्रह्म की बात करते हैं तो पूर्ण ज्ञान की बात करते हैं। ज्ञान में ही क्रियाशक्ति होती है। क्रिया शक्ति जागृत हो जाती है तो आनन्द का अविरल प्रवाह होने लगता है। हमारे लिए एक तरफ गुरुदेव के रूप में ब्रह्म है तो दूसरी तरफ उनके प्रिय शिष्य महेश। इस तरह हमें अपने गुरू ब्रह्मानन्द सरस्वती जी से ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह सारे गुण हमारी चेतना में जागृत हो जाते हैं। परा प्रकृति में कर्म करने की शक्ति भी जागृत हो जाती है। यह सब हमें गुरू परम्परा से अर्जित हुआ है। उक्त उद्गार आज महर्षि विद्यालय समूह के अध्यक्ष ब्रह्मचारी गिरीश ने स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती आश्रम भोजपुर मार्ग स्थित महर्षि उत्सव भवन छान में गुरू पूर्णिमा महोत्सव एवं महर्षि विश्व शान्ति आन्दोलन की स्थापना के 10वें वर्ष पर आयोजित दो दिवसीय समारोह में व्यक्त किये।
महर्षि जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश ने आगे कहा कि एकहि साधे सब सधे अर्थात् हमें ‘मास्टर की’ मिल गई है, यह समूचे अखिल ब्रह्माण्ड की चाभी है। उनका कहना था कि गुरूदेव ब्रह्मानन्द सरस्वती जी के बारे में इतनी बातें हैं कि एक पूरा मानव जीवन कम पड़ जाये। उन्होंने 9 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया था एवं 14 वर्ष की आयु में सन्यास ले लिया था। वह 71 वर्ष की आयु में 1941 में शंकराचार्य बने और जो अद्वितीय कार्य लगभग 13 वर्ष के संक्षिप्त समय में उन्होंने किये वह सदैव अविस्मरणीय रहेंगे। 1942 में गुरूदेव ने नई दिल्ली में यमुना के किनारे यज्ञ किया जिसमें 10,000 से अधिक वैदिक पंडितों ने हिस्सा लिया। इसके पश्चात् भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इन्हीं गुरू ने पूरे विश्व को एक अमूल्य भेंट दिया, वह हैं महर्षि महेश योगी जिन्हांेने सम्पूर्ण विश्व को आलोकित किया।
इन्हीं महर्षि महेश योगी जी ने 26 मई 1986 को घोषित किया था कि भारत तो ज्ञान के मामले में जगत्गुरू है लेकिन हम सब मिलकर भारत को विश्व का सर्वाधिक शक्तिषाली राष्ट्र बनायेंगे। वह सच्चे अर्थों में महर्षि, राजर्षि एवं ब्रह्मर्षि
भी थे। आज 32 वर्षों में इस वृक्ष में फूल आने लगे हैं लेकिन फल आने में अभी समय लगेगा। तब तक हम सभी मालियों का कार्य है कि हम उस वृक्ष को खाद पानी देते रहें एवं रख रखाव करते रहें। 32 वर्ष पूर्व महर्षि द्वारा कही गई बातें आज सार्थक एवं साकार होते दिख रही हैं। यही कारण है कि आज भारत के प्रधान मंत्री द्वारा कही गई प्रत्येक बात को पूरा विश्व समुदाय गम्भीरता से लेता है और उन्हें ऐसा ही सम्मान देता है जैसा कि महर्षि जी ने चाहा था।
इस अवसर पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर भुवनेष शर्मा जी ने कहा कि गुरू की तिथि पूर्णिमा है अर्थात् पूर्ण है। गुरू अन्धकार का निवारण करते हैं। जो गुरू ज्ञान देते हैं वह पूर्ण ज्ञान देता है। इसलिए हम सभी को अपने गुरू महर्षि महेश योगी जी द्वारा दिये गये ज्ञान, भावातीत ध्यान एवं सिद्धि कार्यक्रम का अभ्यास करके उस ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए और उसे आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2017-2018 की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए गुरू चरणों में समर्पित किया एवं आगामी वर्ष की कार्य योजनाओं के लिए गुरू का आशीर्वाद प्राप्त किया। ठीक इसी तरह महर्षि विद्या मन्दिर विद्यालय समूह के कार्यपालक निदेशक डाॅ. प्रकाश जोशी, महर्षि यूनिवर्सिटी आॅफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नाॅलाॅजी के कुलपति प्रो. पंकज चाँदे, भावातीत ध्यान एवं सिद्धि कार्यक्रम के राष्ट्रीय संयोजक एन.डी. तिवारी, महर्षि विश्व शाँति आन्दोलन के राष्ट्रीय महा सचिव व्ही. आर. खरे ने अपने अपने संस्थान एवं विभाग की उपलब्धियों को श्री गुरूदेव के श्रीचरण कमलों में अर्पित किया एवं आगामी वर्ष की योजनाओं की सफलता के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया।

Thursday, March 29, 2018

There should be uniformity in the astrology calendar - Brahmachari Dr Girish Varma


ज्योतिषी पंचांग में एकरूपता की आवश्यकता- ब्रह्मचारी गिरीश जी
भोपाल (महामीडिया) "ज्योतिष विद्या अपने आप में पूर्ण है किंतु ज्योतिष के साधक इसे सीखने में गंभीर नहीं हैं। इस समय देश में ज्योतिष शिक्षा सीखने के छोटे-छोटे अनेक केंद्र हैं किन्तु उनकी प्रतिष्ठा नहीं है, आज हमें एक बड़े एवं सुविधायुक्त प्रतिष्ठित केंद्र की आवश्यकता है, जहां से समस्त विषयों पर उचित एवं संपूर्ण जानकारी मिल सके। ताकि ज्योतिषियों को पंचांग तैयार करने में आसानी और तिथियां प्रदर्शन करने में एकरूपता बनी रहे।" उपरोक्त कथन महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ब्रह्मचारी गिरीश जी ने आज भोपाल में 'महर्षि ज्योतिष पंचांग शोध सम्मेलन' में उपस्थित ज्योतिषियों के समूह को संबोधित करते हुये कही। 
ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन महर्षि महेश योगी संस्थान के तत्वाधान में ज्योतिष मठ संस्थान, भोपाल ने .प्र. शासन संस्कृति संचालनालय के सहयोग से किया। इस कार्यक्रम में 'व्यक्तित्व विकास में ज्योतिष विज्ञान, सनातनी व्रत-त्योहार एवं ज्योतिष सूत्र' विषय पर समस्त ज्ञानी ज्योतिषियों के द्वारा अपने विचार रखे गये। कार्यक्रम में समस्त वक्ताओं के द्वारा मूल रूप से एक विचार रखा गया जिसके अंर्तगत ऐसे समाधान निकालने हेतु प्रयास किये जाने पर विचार किया गया जिससे कि देश में प्रकाशित होने वाले विभिन्न प्रकार के पंचांगों में तिथियों एवं त्योहारों में व्याप्त असमानाओं को दूर किया जा सके। 
ब्रह्मचारी गिरीशि जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि महर्षि महेश योगी जी ने ज्योतिष शोध में बहुत अधिक कार्य किया है। उनकी इच्छा थी कि देश में ज्योतिष का एक ऐसा केंद्र हो जहां पर संपूर्ण एवं समुचित शोध करने एवं ज्ञान देने की व्यवस्था हो ब्रह्मचारी गिरीश जी ने उपस्थित ज्योतिषाचार्यों से अनुग्रह करते हुए कहा, "महर्षि जी ने बताया था कि लगभग 500 वर्ष पूर्व ज्योतिष के शोधन का कार्य हुआ था जिसे अब पुनः किये जाने की आवश्यकता है। इस कार्य में 10 से 12 ज्योतिषाचार्यों को लगभग 1 वर्ष तक शोध करना पड़ेगा। शोध के परिणाम पुनः अगले 400 से 500 वर्षों तक मान्य किये जायेंगे। महर्षि संस्थान आप सभी से आग्रह करता है कि आप में से जो भी विद्वान इस कार्य में अपना सहयोग देना चाहते हैं वे आगे आयें और उनकी सहायता के लिये महर्षि संस्थान समस्त संसाधन एवं सुविधाओं की व्यवस्था करने के दायित्व का निर्वहन करेगा।
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने यह भी कहा कि इस संस्थान के माध्यम से ज्योतिष के आधार पर विश्व शांति एवं कल्याण का भी कार्य किया जायेगा। इसके अंर्तगत समस्त देशों की कुण्डलियां बनावाकर उनके अध्ययन से यह ज्ञात किया जायेगा कि किस देश पर क्या विपत्ति आने वाली है और उस विपत्ति को वैदिक रीति से हवन-पूजन करवाकर दूर किया जायेगा। इस कार्य में महर्षि वैदिक संस्थान के द्वारा वर्तमान में प्रशिक्षित लगभग 7 हजार वैदिक पंडित अपनी भूमिका निर्वहा करेंगे। उन्होंने उपस्थित ज्योतिष विद्वान से संकल्प लेने का आग्रह किया कि वे सभी इस कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। 
सम्मेलन में उपस्थित वक्ताओं ने सामूहिक रूप से एक बात कही कि संपूर्ण देश में छपने वाले पंचांगों में एकरूपता होनी चाहिए जिससे कि समस्त देश में त्योहार एक ही दिन एवं समय पर मनाये जा सकें। कार्यक्रम में देश के विभिन्न कोनों से लगभग 150 ज्योतिष विद्वानों ने भाग लिया एवं विषय पर मुक्त रूप से अपने विचार रखे। 
कार्यक्रम में ब्रह्मचारी गिरीश जी के अलावा ज्योतिष मठ के संस्थापक पंडित अयोध्या प्रसाद गौतम, सीबीआई जज न्यायमूर्ति एस. सी. उपाध्याय, पंडित विष्णु राजौरिया, प्रसिद्ध भागवत कथाचार्य डा. निलिम्प त्रिपाठी, ज्योतिष पीठ के संचालक पंडित विनोद गौतम, राम किशोर वैदिक, पंडित धनेश प्रपन्नाचार्य, पंडित दुबे, महाराज वैभव भटेले, रामबाबू शर्मा, सहित कई ज्योतिषियों ने अपने-अपने विचार रखे। इस अवसर पर महर्षि विद्यालय समूह के सीपीआर व्ही. आर. खरे भी उपस्थित थे।