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Monday, July 30, 2018

We receive the blessings of all three Brahma, Vishnu and Mahesh from Guru- Brahmachari Girish

गुरू से हमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश, तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है - ब्रह्मचारी गिरीश


गुरू पूर्णिमा-27 जुलाई 2018, भोपाल, महर्षि महेश योगी जी कहा करते थे ब्रह्मानन्द अर्थात् ब्रह्म का आनन्द। जब हम ब्रह्म की बात करते हैं तो पूर्ण ज्ञान की बात करते हैं। ज्ञान में ही क्रियाशक्ति होती है। क्रिया शक्ति जागृत हो जाती है तो आनन्द का अविरल प्रवाह होने लगता है। हमारे लिए एक तरफ गुरुदेव के रूप में ब्रह्म है तो दूसरी तरफ उनके प्रिय शिष्य महेश। इस तरह हमें अपने गुरू ब्रह्मानन्द सरस्वती जी से ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह सारे गुण हमारी चेतना में जागृत हो जाते हैं। परा प्रकृति में कर्म करने की शक्ति भी जागृत हो जाती है। यह सब हमें गुरू परम्परा से अर्जित हुआ है। उक्त उद्गार आज महर्षि विद्यालय समूह के अध्यक्ष ब्रह्मचारी गिरीश ने स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती आश्रम भोजपुर मार्ग स्थित महर्षि उत्सव भवन छान में गुरू पूर्णिमा महोत्सव एवं महर्षि विश्व शान्ति आन्दोलन की स्थापना के 10वें वर्ष पर आयोजित दो दिवसीय समारोह में व्यक्त किये।
महर्षि जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश ने आगे कहा कि एकहि साधे सब सधे अर्थात् हमें ‘मास्टर की’ मिल गई है, यह समूचे अखिल ब्रह्माण्ड की चाभी है। उनका कहना था कि गुरूदेव ब्रह्मानन्द सरस्वती जी के बारे में इतनी बातें हैं कि एक पूरा मानव जीवन कम पड़ जाये। उन्होंने 9 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया था एवं 14 वर्ष की आयु में सन्यास ले लिया था। वह 71 वर्ष की आयु में 1941 में शंकराचार्य बने और जो अद्वितीय कार्य लगभग 13 वर्ष के संक्षिप्त समय में उन्होंने किये वह सदैव अविस्मरणीय रहेंगे। 1942 में गुरूदेव ने नई दिल्ली में यमुना के किनारे यज्ञ किया जिसमें 10,000 से अधिक वैदिक पंडितों ने हिस्सा लिया। इसके पश्चात् भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इन्हीं गुरू ने पूरे विश्व को एक अमूल्य भेंट दिया, वह हैं महर्षि महेश योगी जिन्हांेने सम्पूर्ण विश्व को आलोकित किया।
इन्हीं महर्षि महेश योगी जी ने 26 मई 1986 को घोषित किया था कि भारत तो ज्ञान के मामले में जगत्गुरू है लेकिन हम सब मिलकर भारत को विश्व का सर्वाधिक शक्तिषाली राष्ट्र बनायेंगे। वह सच्चे अर्थों में महर्षि, राजर्षि एवं ब्रह्मर्षि
भी थे। आज 32 वर्षों में इस वृक्ष में फूल आने लगे हैं लेकिन फल आने में अभी समय लगेगा। तब तक हम सभी मालियों का कार्य है कि हम उस वृक्ष को खाद पानी देते रहें एवं रख रखाव करते रहें। 32 वर्ष पूर्व महर्षि द्वारा कही गई बातें आज सार्थक एवं साकार होते दिख रही हैं। यही कारण है कि आज भारत के प्रधान मंत्री द्वारा कही गई प्रत्येक बात को पूरा विश्व समुदाय गम्भीरता से लेता है और उन्हें ऐसा ही सम्मान देता है जैसा कि महर्षि जी ने चाहा था।
इस अवसर पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर भुवनेष शर्मा जी ने कहा कि गुरू की तिथि पूर्णिमा है अर्थात् पूर्ण है। गुरू अन्धकार का निवारण करते हैं। जो गुरू ज्ञान देते हैं वह पूर्ण ज्ञान देता है। इसलिए हम सभी को अपने गुरू महर्षि महेश योगी जी द्वारा दिये गये ज्ञान, भावातीत ध्यान एवं सिद्धि कार्यक्रम का अभ्यास करके उस ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए और उसे आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2017-2018 की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए गुरू चरणों में समर्पित किया एवं आगामी वर्ष की कार्य योजनाओं के लिए गुरू का आशीर्वाद प्राप्त किया। ठीक इसी तरह महर्षि विद्या मन्दिर विद्यालय समूह के कार्यपालक निदेशक डाॅ. प्रकाश जोशी, महर्षि यूनिवर्सिटी आॅफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नाॅलाॅजी के कुलपति प्रो. पंकज चाँदे, भावातीत ध्यान एवं सिद्धि कार्यक्रम के राष्ट्रीय संयोजक एन.डी. तिवारी, महर्षि विश्व शाँति आन्दोलन के राष्ट्रीय महा सचिव व्ही. आर. खरे ने अपने अपने संस्थान एवं विभाग की उपलब्धियों को श्री गुरूदेव के श्रीचरण कमलों में अर्पित किया एवं आगामी वर्ष की योजनाओं की सफलता के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया।

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