यह विजय है भारत माता के शीश को ऊँचा उठे देखने की इच्छा रखने वालों की, यह विजय है दीर्घ काल तक भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वालों की, यह विजय है भारतीय सतोगुणी सकारात्मक सामूहिक चेतना की, यह विजय है भारत के उज्जवल भविष्य का स्वप्न देखने वालों की, यह भारत वर्ष के सत्य सनातन वैदिक सिद्धांतों की विजय है, यह भारतीय ज्ञान विज्ञान की विजय है, यह योग की विजय है और यही है सत्त्वमेव जयते –वेद भूमि – पूर्ण भूमि - देव भूमि - पुण्य भूमि भारत की पहचान। हमारे अपने भारत की शान, भारत की आन बान। ब्रह्मचारी जी ने आगे कहा कि महर्षि जी के अंतिम समय में कहे गए वाक्य आज भी उनके कानों में गूँज रहे हैं। महर्षि जी ने कहा था कि भारतका भविष्य उज्जवल है एवं यह उनके लिए संतोष का विषय है। भारत के जन मानस ने मोदी जी और उनकी सरकार पर भरोसा करके उन्हें विजयी बनाया है। अब आवश्यकता है कि इस भरोसे को कायम रखा जाये।
अच्छी बात यह है कि आज मोदी जीने अपने धन्यवाद् सम्बोधन में देश को भरोसा दिला दिया कि वो अगले पांच वर्षों में अपने स्वयं के लिए कुछ नहीं करेंगे। उनका हर कार्य केवल राष्ट्र के लिए होगा। अब आवश्यकता है कि भारत के उत्थान के लिए, भारत के प्रत्येक नागरिक के कल्याण के लिए कार्यक्रम बनाये जाएँ और उन्हें त्वरित गति से लागू किया जाये। महर्षि जी कहते थे कि समय गवाना अवसर खो देने के सामान है। भारत जगत गुरु था, निर्विवाद रूप से आज भी है और भविष्य में सदा रहेगा, केवल कुछ नासमझ व्यक्ति इस तथ्य को अनदेखा करते रहे हैं। भारत का कर्त्तव्य है के वो संपूर्ण विश्व परिवार के समस्त नागरिकों और देशों का मार्गदर्शन करे, उनके लिए सुख, समृद्धि, सम्पन्नता, ज्ञान, पूर्ण स्वास्थ, जीवन परक एवं रोजगार परक शिक्षा, प्रबुद्धता, स्थाई शांति की स्थापना और अजेयता के कार्यक्रम बनाकर विश्व परिवार का कल्याण करे। महर्षि जी ने ऐसे अनेक कार्यक्रमों को बनाकर करोड़ों नागरिकों के जीवन को धन्य किया है। महर्षि संस्थान ऐसे समस्त जन कल्याणकारी कार्यक्रमों के साथ भारत वर्ष एवम विश्व ने समस्त नागरिकों की सेवा के लिए तैयार है।
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